Bhakshak movie review, भूमि की हार्ड हिटिंग ड्रामा देखने लायक

Pooja Joshi

हिन्दी सिनेमा की ऐसी कई फिल्में है, जो एंटरटेनमेंट या पैसा कमाने के लिए नहीं, बल्कि कुछ ऐसी सच्चाईयां उजागर करने के लिए बनाई जाती है, जो अंदर तक झंकझोर देती है। ऐसी ही एक फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म पर 9 फरवरी को रिलीज़ हुई है, जिसका नाम है ‘भक्षक’ (Bhakshak movie)।
नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई शाहरूख खान की प्रोडक्शन कंपनी की फिल्म भक्षक (Bhakshak), बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड से प्रेरित है, जिसमें यौन उत्पीड़न और मारपीट की शिकार हुई 35 लड़कियों को बचाया गया था। इस फिल्म में भूमि पेडनेकर लीड रोल में है। फिल्म के डायरेक्टर पुलकित है। आइए जानते है फिल्म में ऐसा क्या खास है, जिसे देखने के बाद आप ये सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि हम किस तरह के समाज में रहते हैं।

"Bhakshak" movie plot

इस फिल्म की कहानी बिहार के मुन्नवरपुर से शुरू होती है, जहां के एक बालिका गृह में लड़कियां यौन शोषण का शिकार हैं। इस बालिका गृह को चलाने वाला बंसी साहू (Aditya Srivastava) है, जो एक पत्रकार भी है। पुलिस, प्रशासन हर कोई इस बालिका गृह में होने वाली दरिंदगी के आगे अपनी आंखें बंद करके बैठा है। वहां से कहानी पटना आती है, जहां की लोकल रिपोर्टर वैशाली सिंह (Bhumi pednekar) अपना न्यूज चैनल कोशिश न्यूज सेट करने का प्रयास कर रही है।
वैशाली को घर में पति का सपोर्ट है, लेकिन परिवार वाले चाहते हैं कि वह परिवार को आगे बढ़ाए। इस बीच वैशाली का सूत्र उसे राज्य के चाइल्ड सेंटर होम में हुए सर्वे की ऑडिट रिपोर्ट देता है, जिसमें मुनव्वरपुर के बालिका गृह में बच्चियों के साथ हुए यौन शोषण का जिक्र होता है।
जिसके बाद फिल्म की कहानी आगे बढ़ती है और वैशाली अपनी रिसर्च शुरू करती है। इसमें उसका साथ कैमरामैन भास्कर सिन्हा (Sanjay mishra) देता है। वैशाली और भास्कर ये ठान लेते हैं कि वो इंसाफ के लिए हर हाल में लड़ेंगे। वो मासूम बच्चियों को इंसाफ दिलाने के लिए कैसे लड़ते हैं, इस जंग में जीत हासिल करने के लिए उन्हें किस तरह के मुश्किल हालातों से गुजरना पड़ता है। ये सब देखने के लिए आपको नेटफ्लिक्स पर ये बेहतरीन फिल्म भक्षक मिस नहीं करनी चाहिए।

"Bhakshak" movie Screenplay and Cinematography

फिल्म का स्क्रीनप्ले बुनियादी है और इसमें बारीकियों का अभाव है। कहानी सीधी-सादी है, जिसमें कोई आश्चर्य या मोड़ नहीं है। सिनेमैटोग्राफी अच्छी है, लेकिन इसमें कुछ भी असाधारण नहीं है। फिल्म की खास बात यह है कि डायरेक्टर पुलकित ने मुद्दे की सेंसिटिविटी को समझते हुए इसे कमर्शियल बनानी की कोशिश नहीं की है। उन्होंने असल मुद्दों तक पहुंचने में समय व्यर्थ नहीं किया है।

"Bhakshak" movie Cast and Performances

फिल्म देखने के बाद लगता है कि इस रोल को भूमि पेडनेकर से बेहतर कोई निभा ही पाता। लगता है वो इस तरह के सिनेमा के लिए ही बनी हैं। अपनी दमदार आवा़ज में जब वो डायलॉग बोलती है तो इंसान अंदर तक सोचने पर मजबूर हो जाता है। फिल्म में भूमि एक्टिंग की ऐसी कहानी गढ़ती हैं कि आपको बड़े बड़े स्टार फीके लगने लगते हैं। इस तरह हम कह सकते है कि bhumi pednekar ने वैशाली के किरदार को बखूबी जिया है।
इसके अलावा संजय मिश्रा का काम हमेशा की तरह उम्दा है। अधेड़ उम्र के कैमरापर्सन के किरदार को उन्होंने पर्दे पर बखूबी जीवंत किया है। इसके अलावा सीआईडी फेम आदित्य श्रीवास्तव की एक्टिंग भी शानदार है। बंसी साहू के अपने नैगेटिव किरदार में आदित्य ने उन्होंने जान डाल दी है। वहीं, साई तम्हनकर और सूर्या शर्मा सहित सभी कलाकारों ने अपने किरदारों के साथ पूरा इंसाफ किया है।

"Bhakshak" Ratings

भक्षक (Bhakshak) एक हार्ड हीटिंग ड्रामा है जो एक सेंसिटिव इश्यू को उजागर करता है। हालांकि, फिल्म की बुनियादी कहानी और बारीकियों की कमी इसके वीक प्वाइंट कहे जा सकते है। फिल्म में वैशाली की निजी जिंदगी पर फिल्म का फोकस भी अनावश्यक लगता है, क्यूंकि इसकी वजह से फिल्म खींचती हुई नजर आती है। लेकिन कुल मिलाकर, भूमि पेडनेकर के अभिनय और बाल यौन शोषण के बारे में जागरूकता बढ़ाने की फिल्म की कोशिश के लिए ‘भक्षक’ देखने लायक है। इस फिल्म को हम 4 रेटिंग देते है।

निष्कर्ष

फिल्म भक्षक सही निशाने पर वार करती है और जोर से वार करती है और ऐसी फिल्में अगर वार ना करें तो उनके बनने का फायदा नहीं है। कुल मिलाकर आपको ये फिल्म जरूर देखनी चाहिए।

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