बरसात का मौसम गर्मी से तो राहत देता है। लेकिन ये मौसम अपने साथ डेंगू-मलेरिया जैसी जलजनित रोग लेकर भी लाता है। जिसमें इस बार जिसकी सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, वो है चांदीपुरा वायरस (Chandipura virus) । जिसकी वजह से गुजरात और राजस्थान में केवल दो दिन के दौरान 6 बच्चे अपनी जान गंवा चुके हैं।
तो आइए जानते है चांदीपुरा वायरस कितना खतरनाक है? (How dangerous is Chandipura virus), चांदीपुरा वायरस मौत का कारण कैसे बन जाता है ?(How Chandipura virus causes death) और क्यों इसका नाम चांदीपुरा वायरस रखा गया? आइए इस बारे में विस्तार से जानते है।
क्या है चांदीपुरा वायरस? (What is Chandipura virus)
Chandipura virus रबडोविरिडे फैमिली का एक RNA वायरस है, जिसके कारण बच्चे दिमागी बुखार (Encephalitis) के शिकार हो सकते हैं। डॉक्टरों की मानें तो, चांदीपुरा वायरस (Chandipura virus)के लक्षण फ्लू (Flu) से काफी मिलते जुलते हैं जिसकी वजह से लोग इसे सामान्य बुखार समझ लेते हैं। और यही लापरवाही बच्चों की मौत का कारण बन रही है।
फिलहाल, गुजरात में चांदीपुरा वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। जिसको लेकर सावधानी बरतने की जरूरत है। शुरुआत में Chandipura virus के 4 मामले एक ही हॉस्पिटल में सामने आए थे, लेकिन अब इनकी संख्या बढ़ गई है। रिपोर्टस के मुताबिक गुजरात में पांच दिन में चांदीपुरा वायरस से छह बच्चों की मौत हो गई है।
चांदीपुरा वायरस से किस उम्र के बच्चों को है खतरा?
डॉक्टर्स की मानें तो चांदीपुरा वायरस ज्यादातर बच्चों को इंफेक्टेड करता है जिसमें 9 महीने से लेकर 14 साल के बच्चे शामिल हो सकते हैं। ये वायरस जब बच्चों पर अटैक करता है तो इंफेक्टेड बच्चे में बुखार, डायरिया, उल्टी, दिमागी बुखार जिसे इंसेफेलाइटिस कहते हैं और फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
कैसे फैलता है चांदीपुरा वायरस (Chandipura virus transmission)
एक्सर्पटस की मानें तो चांदीपुरा वायरस कीट-पतंगों और मच्छरों से फैलता है। ये वायरस वेसिकुलो वायरस का मेंबर है। इस वायरस से मच्छर सबसे पहले इंफेक्टेड होते हैं और जब ये मच्छर बच्चों को काट लेते हैं, तो वे दिमागी बुखार की चपेट में आ जाते हैं।
माना जाता है कि यह वायरस सैंडफ्लाइज़ फ़्लेबोटोमस पापाटासी के जरिए फैलता है, जो कुछ कीड़ों और मच्छरों में होता है। और ये कीड़े जब बच्चों को काटते हैं तो उससे इंफेक्शन फैल जाता है। हालांकि, Chandipura virus transmission के पीछे के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं।
क्या हैं चांदीपुरा वायरस के लक्षण? (Chandipura virus Symptoms)
चांदीपुरा वायरस (Chandipura virus) की वजह से सबसे पहले बच्चों को अचानक तेज बुखार आ जाता है। इसके बाद बच्चों को उल्टियां, दस्त और सिर में दर्द महसूस होता है। कई बार बच्चों में सिरदर्द के साथ बेहोशी भी छाने लगती है। इस वायरस की वजह से बच्चों को कमजोरी महसूस होती है। वहीं, जब बुखार की वजह से बच्चों के दिमाग में सूजन आ जाती है तो यह जानलेवा हो जाता है। ये सभी Chandipura virus Symptoms है।
चांदीपुरा वायरस का इलाज (Chandipura virus treatment)
चूंकि इस चांदीपुरा वायरस के लक्षण (Chandipura virus Symptoms) एक जैसे नहीं है, ऐसे में इस वायरस से निपटने के लिए अब तक कोई भी वैक्सीन या टीका नहीं बन पाया है। इस बीमारी का इलाज सिर्फ लक्षणों के हिसाब से ही किया जाता है। शुरुआत में जब बच्चे को फ्लू होता है तो वायरल इंफेक्शन के हिसाब से दवा दी जाती है। वहीं, बुखार या दिमाग में सूजन होने पर इलाज के तरीके को बदल दिया जाता है।
चांदीपुरा वायरस से कैसे कर सकते हैं बचाव?
देखा जाए तो चांदीपुरा वायरस से निपटने का एक ही तरीका बचाव है। इसके लिए ये जरूरी है कि अपने घर के आसपास सफाई रखी जाए। इस बात का खास ध्यान रखें कि किसी भी हाल में जलभराव न होने दें। वहीं, रात के वक्त सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। बच्चों को पूरी आस्तीन के कपड़े पहनाकर रखें और हर उस जगह से बचे जहां कीड़ें व मच्छर हो सकते है।
कब से शुरू हो हुई ये बीमारी?
साल 1965 के दौरान चांदीपुरा वायरस का पहला मामला महाराष्ट्र में मिला था। जिसके बाद गुजरात के कई इलाकों में इस वायरस के मामले पाए गए। इसके बाद धीरे-धीरे महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात में इस वायरस का असर नजर आने लगा। वर्ष 1996 में महाराष्ट्र के नागपुर स्थित चांदीपुरा गांव में 2 महीने से 15 साल तक के बच्चों की मौत होने लगी थी।
जब जांच हुई तो मौत की वजह एक वायरस को पाया गया। ऐसे में गांव के नाम पर ही वायरस का नाम पर चांदीपुरा वायरस रख दिया गया। आश्चर्य की बात ये है कि, पूरी दुनिया में सिर्फ भारत में ही इस वायरस के केस मिलते हैं।
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