Recommended screen time by age: बच्चों का बढ़ता स्क्रीन टाइम आजकल हर पेरेंटस के लिए चिंता का विषय बन गया है। क्यूंकि इसकी वजह से बच्चे पेरेंटस से इतना इमोशनली कनेक्ट नहीं हो पाते। दरअसल, बच्चों का अधिकांश समय मोबाइल में ही निकल जाता है ऐसे में उसे दूसरी दुनिया से कोई जुड़ाव नहीं रहता।
ये बात कई रिसर्च में सामने आ चुकी है अत्यधिक स्क्रीन टाइम बच्चों के फिजिकल, मेंटल और सोशियल हेल्थ पर नैगेटिव इफेक्ट ड़ाल रहा है। इस समस्या की गंभीरता को समझते हुए इंडियन एकेडमी ऑफ चिल्ड्रन डिजीज (IAP) ने स्क्रीन टाइम को लेकर कुछ जरूरी दिशा-निर्देश दिए हैं, जो पेरेंट्स के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। इस गाइडलाइन को फॉलो कर आप बच्चों के स्क्रीन टाइम को सीमित कर सकते हैं। आइए जानते है कैसे।
IAP के स्क्रीन टाइम गाइडलाइन (IAP screen time guideline)
- 2 साल से कम उम्र के बच्चे: कोई स्क्रीन टाइम नहीं।
- 2-5 साल के बच्चे: अधिकतम 1 घंटे प्रति दिन।
- 6-12 साल के बच्चे: स्टडी के अलावा, 1-2 घंटे का स्क्रीन टाइम।
- 13-18 साल के Adults: स्टडी और अन्य प्रोडक्टिव वर्क पर फोकस होना चाहिए। एंटरटेनमेंट के लिए 2 घंटे।
ज्यादा स्क्रीन टाइम देने के साइडइफेक्ट ( Side effect of too much screen time)
- अगर आपने बच्चे की स्क्रीन टाइम लिमिट सेट नहीं की है तो इसका बच्चे की मेंटल हेल्थ पर असर पड़ सकता है। जिसकी वजह से उसे नींद ना आना, बैचेनी या डिप्रेशन की समस्या हो सकती है।
- फिजिकल हेल्थ पर भी ज्यादा स्क्रीन टाइम का असर पड़ सकता है। इसकी वजह से स्ट्रेस, मोटापा और बैक प्रॉब्लमस हो सकती है।
- अगर बच्चा मोबाइल पर ज्यादा समय बिताता है तो बच्चा सोशयली पिछड़ सकता है। क्यूंकि उसके लिए मोबाइल ही दुनिया है,ऐसे में नए लोगों से मिलने में उनसे बातचीत करने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं होगी।
स्क्रीन टाइम को कैसे कंट्रोल करें (How to control screen time)
टाइम लीमिट सेट करें- American Academy of Pediatrics के अनुसार, 2-5 साल के बच्चों के लिए रोज़ाना 1 घंटे का स्क्रीन टाइम पर्याप्त है। जबकि बड़े बच्चों और टीनएजर्स को मोबाइल स्टडी के तौर ही यूज करना चाहिए। ऐसे में कोशिश करें कि मोबाइल देखने का टाइम लीमिट सेट हो।
आउटडोर गेम्स में बढ़ाए रूचि – अगर आपका बच्चे में मोबाइल देखने की लत छुड़ाना चाहते है तो उसकी आउटडोर गेम्स के प्रति रूचि बढ़ाए। हालांकि, एकदम से किसी चीज की रूचि डवलप करना आसान नहीं है। इसके लिए आपको भी पूरी तरह से इन्वॉल्व होना होगा। अपने बच्चे को समय देना होगा।
क्रिएटिविटी तराशें- हर इंसान को भगवान ने कोई ना कोई आर्ट में पारंगत बनाया है। जरूरत है तो उसे पहचाकर उसे बाहर लाने की। बच्चे को वो प्लेटफॉम दें जिसमें वो अपनी प्रतिभा को तराश सकें।
नो-स्क्रीन ज़ोन बनाएं- भोजन के समय और सोने से एक घंटे पहले स्क्रीन का उपयोग पूरी तरह बैन कर दें। शुरूआत में ये थोड़ा मुश्किल होगा, लेकिन ये तय कर लें कि बच्चा चाहे कितनी ही जिदद क्यूं ना करें आप खाने के समय उसे मोबाइल नहीं देखने देंगे। बच्चों के बेडरूम में स्क्रीन डिवाइस रखने से बचें।
पैरेंट्स भी बदलें अपनी आदत- अगर पेरेंटस अपने बच्चे के स्क्रीन टाइम को कम करना चाहते है तो आपको भी अपने स्क्रीन यूज पर ध्यान देना होगा। ध्यान रहें, बच्चे अक्सर अपने माता-पिता की आदतों की नकल करते हैं। ऐसे में ये जरूरी है कि आप भी अपना स्क्रीन यूज़ कम रखें।
स्क्रीन टाइम कम करने के फायदे ( Benefits of Reducing Screen Time)
सोशल रिलेशन बनेंगे
बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करने से उनको सोशल रिलेशन बनाने के लिए ज्यादा समय मिल सकता है। इससे बच्चे पेरेंटस और अपने करीबी व दोस्तों से ज्यादा जुड़ पाएंगे। जिससे उनकी इमोशनल हेल्थ में सुधार होगा।
फोकस बढ़ेगा
जब आप बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करते हैं, तो उनका फोकस बेहतर होगा। दरअसल, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के ज्यादा उपयोग से फोकस कैपिसिटी और प्रोडक्टिविटी में कमी आती है। जब स्क्रीन टाइम कम कर लेते हैं, तो बच्चे दूसरी जरूरी चीजों पर फोकस कर सकते हैं।
फिजिकल हेल्थ में सुधार
स्क्रीन टाइम कम होने से फिजिकल हेल्थ को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है। दरअसल, जब बच्चों का स्क्रीन टाइम कम होगा तो उन्हें फिजिकल एक्टिविटी करने के लिए ज्यादा समय मिलेगा। जिससे मोटापे जैसी हेल्थप्रॉब्लम रोकने में मदद मिलेगी।
निष्कर्ष- स्क्रीन का सही उपयोग बच्चों के विकास के लिए बेहद आवश्यक है। ऐसे में पेरेंट्स को चाहिए कि वे बच्चों के स्क्रीन टाइम को कम करने के लिए हरसंभव प्रयास करें ताकि बच्चों की मेंटल और फिजिकल हेल्थ बनी रहे।