Shardiya navratri 2024, चौथे दिन लगाए मां कुष्मांडा का ध्यान

Pooja Joshi

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maa kushmunda
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Shardiya navratri 2024: नवरात्रि के नौ दिन बहुत ही पावन और शुभ होते है। 6 जुलाई, 2024 को नवरात्रि (Navratri) का चौथा दिन है। यह दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप देवी कूष्मांडा (maa kushmunda) का है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां कुष्मांडा की पूजा करने से आयु, यश, बल और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। यहां हम आपको मां कुष्मांडा के स्वरूप, पूजा विधि (Puja Vidhi) मंत्र ( maa kushmanda mantra) और आरती ( maa kushmanda aarti) के बारे में बताने जा रहे है।

मां कुष्मांडा सूर्य लोक में निवास करती है

नवरात्रि (Navratri) में आद्यशक्ति का चौथा रूप मां कुष्मांडा के रूप में पूजा जाता है। कुष्मांडा के नाम का अर्थ होता है थोड़ा उष्ण ब्रह्मांडीय अंड। कु यानि छोटा और उष्म यानि नर्म, जबकि अंड का मतलब होता है ब्रह्माण्ड। मां कुष्मांडा (maa kushmunda) ब्रह्माण्ड के आंतरिक हिस्से या सूर्य लोक में निवास करती है और ये सूर्य प्रभामंडल को प्रसारित करती है। ऐसा माना जाता है जब चारों ओर अंधेरा फैला था, तब देवी कुष्मांडा ने अपने संकल्प के साथ ब्रह्मांड को बनाया। और सभी जगह उजाला फैल गया।

मां कुष्मांडा देती है क्षमता और शक्ति

ऐसी मान्यता ये है कि जब सृष्टि का अस्तित्व भी नहीं था, तब कुष्माण्डा देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी। इसी कारण ही इन्हें कुष्माण्डा के नाम से जाना जाता है इसलिए ये सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं। मां कुष्माण्डा (maa kushmunda) की आठ भुजाएं हैं। इसलिए मां कुष्मांडा को अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता हैं।
इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है। मां सिंह के वाहन पर सवार रहती हैं। देवी कुष्मांडा का निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है जहां निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है।

अनाहता चक्र पर करें फोकस

नवरात्रि (Navratri) पर्व के चौथे दिन भक्त का मन अनाहता चक्र में प्रवेश करता है। जिसमें उसे फोकस रहना चाहिए। केवल मां कुष्मांडा (maa kushmunda) की पूजा करने से भक्त को अपने सभी दुखों और तकलीफों से मुक्ति मिल जाती है। इसके अलावा उसे दीर्घायु, प्रसिद्धि, ताकत और बेहतर स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है।

मां कुष्मांडा के मंत्र ( maa kushmanda mantra)

ऊं कुष्माण्डायै नम:


वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥


अन्य मंत्र: सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च. दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्मांडा शुभदास्तु मे।

नवरात्रि के चौथे दिन का रंग

मां कूष्मांडा का पसंदीदा रंग नारंगी माना जाता है, इसलिए इस दिन नारंगी रंग के कपड़े पहनना सबसे शुभ माना जाता है।

नवरात्रि के चौथे दिन का प्रसाद

मां कुष्मांडा को कुम्हड़ा यानी के पेठा सबसे प्रिय है. इसलिए इनकी पूजा में पेठे का भोग लगाना चाहिए. इसके अलावा आप चाहें तो मालपुआ और दूध पाक का भी भोग लगा सकते है।

मां कुष्मांडा आरती :

कूष्मांडा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली। शाकंबरी मां भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे । भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा। स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदंबे। सुख पहुँचती हो मां अंबे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा। पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
मां के मन में ममता भारी। क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा। दूर करो मां संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो। मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए। भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥


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