ITR filing: Salaried Personये 5 बातें ना करें इग्नोर

Vishal Purohit

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ITR filing
हर साल इनकम टैक्स रिटर्न (ITR filing) भरने का झमेला तो आप भी झेलते ही होंगे! लेकिन क्या आप जानते हैं कि कई बार छोटी-छोटी गलतियों की वजह से आपका टैक्स फंस सकता है? जी हां, अगर आप वेतनभोगी हैं यानि Salary Earner तो इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

Key Point for ITR Filing

तो चलिए आज हम उन्हीं 5 मुख्य बिंदुओं (Key points) पर चर्चा करते हैं जिन्हें हर वेतनभोगी ( Salaried Person) को ध्यान में रखना चाहिए।

1. सही फॉर्म का चुनाव (Choosing the Right Form for ITR)

आयकर विभाग (Income Tax Department) अलग-अलग तरह के इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म (ITR Forms) जारी करता है। हर फॉर्म अलग-अलग तरह की आय (Income) के लिए होता है! वेतनभोगियों के लिए सबसे उपयुक्त फॉर्म ITR-1 (Sahaj) है। यह फॉर्म आसान है और इसे भरना भी सरल है। लेकिन ध्यान रहे, अगर आपकी इनकम 50 लाख रुपये से ज्यादा है या फिर आप बिजनेस से इतनी इनकम कमाते है तो आपको दूसरा फॉर्म चुनना पड़ सकता है। ऐसे में फॉर्म भरने से पहले एक बार जरूर जांच लें कि कौन सा फॉर्म इनकम टैक्स रिटर्न (ITR filing) भरने के लिए सही है।

2. फॉर्म 16 की जांच (Verifying Form 16 for ITR)

आपका नियोक्ता (Employer) आपको हर साल फॉर्म 16 देता है। इस फॉर्म में आपकी पूरी साल की सैलरी इनकम (Salary Income) और उस पर कट चुके टैक्स (Tax Deducted at Source – TDS) की जानकारी होती है। इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय फॉर्म 16 (Form 16) की जानकारी को ही आधार बनाए। फॉर्म 16 (Form 16) में दी गई जानकारी को रिटर्न फॉर्म में ध्यान से भरें। अन्यथा किसी भी तरह की भिन्नता और गड़बड़ी होने पर आपको परेशानी हो सकती है।

3. डिडेक्शन का सही दावा (Claiming Deductions for ITR)

इनकम टैक्स बचाने का एक शानदार तरीका है डिडेक्शन का फायदा उठाना (Availing Deductions)। जैसा कि सभी लोग ये बात अच्छे से जानते है कि कई तरह के खर्चों पर इनकम टैक्स में छूट मिलती है, जैसे कि हाउस रेंट अलाउंस (HRA), मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम (Medical Insurance Premium), इन्वेस्टमेंट्स (Investments) आदि। अगर आपने ये खर्चे किए हैं तो इनकम टैक्स रिटर्न में इनका डिडेक्शन का दावा जरूर करें। इससे आपकी टैक्स देनदारी (Tax Liability) कम हो सकती है और आपको रिफंड (Refund) भी मिल सकता है।

4. समय सीमा का पालन (Following the Deadline for ITR)

इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की एक निर्धारित समय सीमा (Deadline) होती है। आम तौर पर, वेतनभोगियों के लिए यह समय सीमा 31 जुलाई होती है। अगर आप समय सीमा के बाद रिटर्न दाखिल करते हैं तो आपको लेट फाइलिंग पेनल्टी (Late Filing Penalty for ITR) भरनी पड़ सकती है। ऐसे में देरी से फाइल दाखिल करने से बचें और तयशुदा समय सीमा के अंदर ही अपना रिटर्न जमा कर दें।

5. दस्तावेजों को संभाल कर रखें (Maintain Proper Records for ITR)

इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने के बाद कम से कम 7 साल तक सभी जरूरी दस्तावेजों को संभाल कर रखना चाहिए। इन दस्तावेजों में फॉर्म 16 (Form 16) , इन्वेस्टमेंट प्रूफ (Investment Proof), बैंक स्टेटमेंट (Bank Statement) आदि शामिल हैं। ताकि अगर आयकर विभाग (Aaykar vibhag) आपसे कोई जानकारी मांगता है तो आप उन्हें ये दस्तावेज दिखा सकें।

आखिर में कुछ खास बातें:

अगर आपको इनकम टैक्स रिटर्न भरने में कोई दिक्कत आ रही है तो आप किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट (Chartered Accountant) या टैक्स कंसल्टेंट (Tax Consultant) की मदद ले सकते हैं। ऑनलाइन कई वेबसाइट्स हैं जो इनकम टैक्स रिटर्न भरने में मदद करती हैं. इनका इस्तेमाल भी किया जा सकता है। लेकिन ध्यान रहे कि अपनी सारी जानकारी किसी अनजान वेबसाइट पर ना दें.
इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करना कोई जटिल प्रक्रिया नहीं है। बस थोड़ी सी सावधानी और सही जानकारी से आप आसानी से अपना रिटर्न भर सकते हैं।
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