बढ़ती महंगाई के दौर में लोगों को ना सिर्फ वर्तमान की बल्कि भविष्य की चिंता बनी रहती है। यही कारण है कि आज का युवा कम उम्र में ही रिटायरमेंट की प्लानिंग शुरू कर देता है। क्यूंकि वो ये बात अच्छे से जानते है कि 60 साल के बाद पैसा कमाना उसके लिए काफी मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में उसे किसी पर निर्भर ना रहना पड़े इसके लिए वो पहले से प्लानिंग बनाकर चलता है। तो किस तरह से आप रिटायरमेंट की प्लानिंग बना सकते है और इस दौरान किन गलतियों से आपको बचना चाहिए, इन सभी बातों के बारे में यहां हम आपको विस्तार से बताने वाले है।
ज्यादातर लोग जल्दी रिटायर होने की योजना बनाते हैं। कुछ 50 साल या इससे पहले रिटायर होना चाहते हैं। जबकि अपने फाइनेंशियल गोल को पाने के लिए वे कुछ भी नहीं करते हैं। तो जब तक आप अपनी प्लानिंग पर काम शुरू ही नहीं करेंगे तो, आप इसे समय पर हासिल कैसे कर पाएंगे। ये बात मानकर चलिए कि अगर आप जल्दी रिटायरमेंट लेने के बारे में सोच रहे है तो आपको अपनी मंथली इनकम का 20 या 25 प्रतिशत कहीं इंवेस्ट करना होगा। ताकि आपको बिना कुछ करें अच्छा रिटर्न मिल जाए।
ऐसे लोग भी हैं जो रिटायरमेंट के लिए 14-15 या इससे भी अधिक इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने का दावा करते हैं। लेकिन ध्यान रखें, ढेर सारी पॉलिसी खरीद लेने से रिटायरमेंट में मदद नहीं मिलेगी। बल्कि आपको लाइफ इंश्योरेंस की अवधारणा को समझने की कोशिश करनी चाहिए। और इसी के चलते टर्म पॉलिसी खरीदनी चाहिए। इंश्योरेंस कवर आप पर आश्रित लोगों के वित्तीय खर्चों का ख्याल रखने के लिए पर्याप्त होना चाहिए।
इंवेस्टर आमतौर पर रिटायरमेंट सेविंग के लिए कोर्इ बड़ी राउंड फिगर ले लेते हैं। जैसे कि एक करोड़ या तीन करोड़। हालांकि, इनमें से कर्इ लोग लाइफ एक्सपेक्टेंसी यानी कितने साल तक हम जीवित रह सकते हैं, इसे ध्यान में नहीं रखते हैं। तो क्या आपने कभी सोचा है कि अगर सेविंग की रकम जिंदगीभर नहीं चली तो क्या होगा? शायद सोच कर भी लगता है कि यह एक गंभीर स्थिति होगी।
अक्सर इंवेस्टर भविष्य में पैसे की कीमत घटने पर विचार नहीं करते हैं। बल्कि वे सेविंग और इंवेस्टमेंट पर महंगार्इ के असर को भी ध्यान में नहीं रखते हैं। जबकि बात जब भविष्य के खर्चों को निकालने की आती है तो उस समय महंगार्इ को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। जिंदगी के अंतिम क्षणों में पैसा नहीं रहने पर स्थितियां कितनी खराब हो सकती हैं, इसका अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल है।
ज्यादातर इंवेस्टर्स को शादी और बच्चों के बाद ही इंवेस्टमेंट की अहमियत या यूं कहें जरूरत का एहसास होता हैं। जबकि अगर कोई व्यक्ति 20 वर्ष की आयु में हर महीने 5000 रुपये का 40 साल तक इंवेस्टमेंट करता रहता है. तो, 60 साल की उम्र में वह 15 करोड़ रुपये जुटा लेगा। जबकि, 20 साल बाद सेविंग की शुरुआत करने पर 4 करोड़ से भी कम की राशि जुटा पाएगा। यानि सेविंग करके इंवेस्टमेंट करने में आप जितनी देरी करेंगे उतना ही आपको नुकसान है।
कई व्यक्ति सोने या रियल एस्टेट में एक या दो साल के शॉटटर्म पीरियड के लिए पैसा लगा देते हैं। वे ये मानकर चलते हैं कि ये एसेट क्लास थोड़े ही समय में उनका पैसा दोगुना कर देंगे। जबकि एक इंवेस्टर को ये बात अच्छे से पता होनी चाहिए कि विभिन्न इंवेस्टमेंट ऑप्शंस अलग-अलग तरह के रिस्क फेक्टर और इंवेस्टमेंट व्यू पर बेस्ड होते हैं।
EPFO को भविष्य के लिए सेविंग का अच्छा सोर्स माना जाता है। जो नौकरीपेशा लोग है उनके लिए ये इंवेस्टमेंट का बेस्ट ऑप्शन है। इसे मैंटेन रखने में ना सिर्फ आपका बल्कि आपकी कंपनी का भी योगदान रहता है। लेकिन कुछ लोग जरूरत पड़ने पर समय से पहले इन्हें निकलवा लेते है। लेकिन इस छोटी सेविंग को कम ना समझें, क्यूंकि इसकी मदद से आप रिटायरमेंट के लिए बड़ी राशि एकत्रित कर सकते है।
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी बढ़ने लगती है। ऐसे में समय रहते मेडिकल खर्च की तैयारी जरूरी है। और इसके लिए पर्याप्त हेल्थ इंश्योरेंस कवर होना बहुत जरूरी है। चूंकि कुछ इंश्योरेंस कंपनियां 65 साल या 70 साल की उम्र के बाद कवर नहीं देती और कुछ में 50 या 55 साल की उम्र के बाद मेडिकल चेकअप अनिवार्य होता है। ऐसे में समय रहते हेल्थ कवरेज लेने में ही समझदारी है।
रिटायरमेंट का पैसा आने के बाद उसे समझदारी से खर्च करने की जरूरत है। क्यूंकि आपको इसी के सहारे बाकी की उम्र गुजारनी है। जिसके लिए प्रोपर प्लानिंग बहुत जरूरी है। जैसे कुछ पैसों को अपने पास कैश रखें। वहीं जिन पैसों की जरूरत आपको दस साल बाद है उन्हें आप बॉंड, सेविंग स्कीम, शॉर्ट टर्म इनकम प्लान में रख सकते हैं। जबकि बाकी की रकम आप इक्विटी या हाइब्रिड म्यूचुअल फंड में इंवेस्ट कर सकते हैं।