Fatty liver disease: क्या आपको भी थोड़ा-सा काम करने के बाद भी थकान और कमजोरी महसूस होने लगती है?क्या आपके पेट के उपरी दाएं हिस्से में दर्द महसूस होता है ? तो इन लक्षणों को सामान्य ना समझें। क्यूंकि ये फैटी लेवर के चेतावनी संकेत हो सकते है। ऐसे में समय रहते संभल जाने में ही समझदारी है।
फैटी लीवर डिजी़ज (Fatty liver disease) जिसे मेडिकल लेंग्वेज में स्टीटोसिस (Steatosis) कहते हैं, एक कॉमन हेल्थ प्रॉब्लम है जिसमें लिवर में एक्सट्रा फैट यानि चर्बी जमा हो जाती है। और ये यह जमाव लीवर के सामान्य कामकाज को बाधित कर सकता है, और अगर इसका समय पर इलाज न किया जाए तो गंभीर जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। अच्छी बात ये है कि शुरुआती स्टेज में इसका पता लगाकर और लाइफस्टाइल में बदलाव करके इसे काफी हद तक ठीक किया जा सकता है, बल्कि कई मामलों में इसे पूरी तरह से खत्म भी किया जा सकता है।
फैटी लिवर के स्टेज (Fatty liver stages)
Fatty liver disease के मुख्यत: तीन स्टेज है, जिनमें सबसे बेसिक स्टेज सिंपल स्टीटोसिस (Simple Steatosis) होता है। इसमें लिवर में एक्सट्रा फैट जमा हो जाता है, लेकिन इससे कोई खास सूजन या नुकसान नहीं होता। हालांकि, अगर इसका इलाज न किया जाए तो ये सिंपल स्टीटोसिस नॉन-अल्कोहॉलिक स्टीटोहेपेटाइटिस (NASH) में बदल सकता है, जो एक ज्यादा सीरियर स्टेज है जिसमें लिवर में सूजन और सेल्स को नुकसान पहुंचता है। वहीं अगर NASH का प्रभावी ढंग से इलाज न किया जाए तो यह आगे चलकर सिरोसिस और लिवर फेलियर का कारण बन सकता है।
फैटी लिवर के लक्षण (Fatty liver symptoms)
थकान और कमजोरी: जब लिवर में एक्सट्रा फैट जमा होने लगता है तो शरीर की ऊर्जा बनाने की क्षमता कम हो सकती है, जिससे आपको लगातार थकान और कमजोरी महसूस हो सकती है।
पेट के ऊपरी दाएं हिस्से में दर्द : चूंकि, लिवर पेट के ऊपरी दाएं हिस्से में स्थित होता है। ऐसे में फैटी लिवर डिजीज होने पर कभी-कभी यहां दर्द महसूस हो सकता है।
वेट लॉस: फैटी लिवर डिजीज मेटाबॉलिज्म और भूख को कंट्रोल करने वाले फैक्टर को प्रभावित कर सकता है, जिससे कुछ मामलों में बिना किसी कारण के वेट लॉस हो सकता है।
भूख कम लगना: फैटी लिवर डिजीज पाइल के प्रोडक्शन को प्रभावित कर सकता है, जो फैट को पचाने के लिए एक जरूरी डाइजेस्टिव फलूइड होता है। ऐसे में इसकी वजह से भूख कम लग सकती है या थोड़ा खाना खाने के बाद भी पेट भरा हुआ महसूस हो सकता है।
मतली और उल्टी: डाइजेशन प्रोसेस में गड़बड़ी होने के कारण, जो पाइल के कम उत्पादन से हो सकती है, कभी-कभी मतली और उल्टी की समस्या का कारण भी बन सकती है।
पीलिया : फैटी लिवर डिजीज के गंभीर मामलों में, डैमेज लिवर सेल्स बिलीरुबिन (Bilirubin) नामक पीले रंग का रंगद्रव्य ब्लड सर्कुलेशन में प्रवाहित हो सकता हैं। इससे स्किन और आंखों का सफेद भाग पीला पड़ सकता है।
फोकस करने में कठिनाई: शरीर का डिटॉक्सिफिकेशन प्रोसेस यानि शरीर से ट्रॉक्सिन को बाहर निकालना काफी हद तक लिवर के सही काम करने पर निर्भर करता है। फैटी लिवर डिजीज इस प्रक्रिया को बाधित कर सकता है, जिससे फोकस करने में समस्या हो सकती है।
अन्य संभावित लक्षण: कुछ मामलों में फैटी लिवर डिजीज वाले लोगों को स्किन में खुजली, स्पाइडर एंजियोमा या पेट में सूजन जैसे लक्षण भी हो सकते हैं।
फैटी लिवर के कारण (Fatty liver causes)
इंसुलिन रेजिस्टेंस: इंसुलिन (Insulin) एक हॉर्मोन है जो पेंक्रियाज द्वारा निर्मित होता है और रक्त शर्करा (Blood Sugar) के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। जब शरीर इंसुलिन के प्रभाव के लिए प्रतिरोधी हो जाता है, तो यह ब्लड सर्कुलेशन में अतिरिक्त शुगर प्रोडयूस करने का कारण बन सकता है. जवाब में, लिवर इस एक्सट्रा शुगर को फैट के रूप में एकत्रित करने की कोशिश करता है, जिससे संभावित रूप से फैटी लिवर डिज़ीज (Fatty liver disease) हो सकता है।
मोटापा: जो लोग अधिक वजन वाले या मोटे होते हैं उनमें फैटी लिवर डिज़ीज (Fatty liver disease) होने का खतरा काफी अधिक होता है। शरीर में एक्सट्रा फैट, खासकर पेट के आसपास का फैट, लिवर में फैट स्टोरेज को बढ़ावा दे सकता है।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम: इस स्थिति में हाई बीपी , हाई ब्लड शुगर, अनहेल्दी कोलेस्ट्रॉल लेवल शामिल है। मेटाबॉलिक सिंड्रोम फैटी लिवर डिज़ीज के खतरे को काफी बढ़ा देता है।
खानपान की आदतें: फैटी, शर्करायुक्त पेय पदार्थ और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट से भरपूर डाइट फैटी लिवर डिज़ीज (Fatty liver disease) को बढ़ावा दे सकती है। ये डाइट पूरे शरीर में फैट स्टोरेज को बढ़ावा देते हैं, जिसमें लिवर भी शामिल है।
कुछ दवाईयां: कुछ दवाएं, जैसे कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स और कुछ कीमोथेरेपी दवाओं के साइड इफेक्ट्स में फैटी लिवर डिज़ीज हो सकता है।
मेडिकल कंडीशन: कुछ मेडिकल कंडीशन जैसे पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) और स्लीप एपनिया, विभिन्न तरीकों से फैटी लिवर डिज़ीज के खतरे को बढ़ा सकती हैं। ऐसे में फैटी लिवर डिज़ीज (Fatty liver disease) के जोखिम को कम करने के लिए इन कंडीशंस को कंट्रोल करना महत्वपूर्ण है।
फैटी लिवर का ट्रीटमेंट (Fatty liver treatment)
लाइफस्टाइल में बदलाव करके फैटी लिवर में काफी सुधार किया जा सकता है और यहां तक कि इसे पूरी तरह से ठीक भी किया जा सकता है। जैसे कि:
- वजन कंट्रोल में रखें
- डाइट में बदलाव लाए
- फ्राइड चीजों का सेवन सीमित करें
- भरपूर न्यूट्रीशंस डाइट लें
- रेगुलर एक्सरसाइज करें
- एल्कोहल का सेवन ना करें
याद रखें: फैटी लिवर को प्रभावी ढंग से मैनेज करने के लिए उसके बारे मे जल्दी पता लगाना करना महत्वपूर्ण है। अगर आपको अपने शरीर में उपरोक्त लक्षण दिखाई दे रहे है तो उचित निदान के लिए अपने डॉक्टर से अपॉइंटमेंट से परामर्श करें।