क्या होता है डीपफेक: What is Deepfake?
डीपफेक इमेज और वीडियो दोनों रूप में हो सकता है। इसे एक स्पेशल मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करके बनाया जाता है जिसे डीप लर्निंग कहा जाता है। डीप लर्निंग में कंप्यूटर को दो वीडियोज या इमेज दिए जाते हैं जिन्हें देखकर वह खुद ही दोनों वीडियो या इमेज को एक ही जैसा बनाता है। इस तरह के फोटो वीडियोज में हिडेन लेयर्स होते हैं जिन्हें सिर्फ एडिटिंग सॉफ्टवेयर से ही देखा जाता है। साफ शब्दों में कहें तो डीपफेक, रियल इमेज-वीडियोज को बेहतर रियल फेक फोटो-वीडियोज में बदलने का एक प्रोसेस है। जिसमें फोटो-वीडियोज फेक होते हुए भी रियल जैसे ही नजर आते हैं।
कैसे बनता है डीपफेक वीडियो
डीपफेक दो नेटवर्क की मदद से बनता है जिनमें एक इनकोडर होता है और दूसरा डीकोडर नेटवर्क होता है। इनकोडर नेटवर्क सोर्स कंटेंट यानि असली वीडियो को एनालाइज करता है और फिर डाटा को डीकोडर नेटवर्क को भेजता है। उसके बाद फाइनल आउटपुट निकलता है जो कि बिल्कुल असली जैसा है लेकिन वास्तव में वह फेक होता है। डीपफेक के लिए कई वेबसाइट्स और एप हैं जहां लोग डीपफेक वीडियोज बना रहे हैं।
कैसे करें असली-नकली का फर्क
इस तरह के फोटो-वीडियोज को पहचानना बहुत ज्यादा आसान तो नहीं है लेकिन ऐसा भी नहीं है कि ये नामुमकिन है। इस तरह के फेक वीडियो को पहचानने के लिए आपको वीडियो को बहुत ही बारिकी से देखना होगा। खासतौर से फेस एक्सप्रेशन, आंखों की मूवमेंट और बॉडी स्टाइल को। इसके अलावा बॉडी कलर से भी आप इन्हें पहचान सकते हैं। आमतौर पर ऐसे वीडियोज में चेहरे और बॉडी का कलर मैच नहीं करता है। इसके अलावा लिप सिंकिंग से भी इस तरह के वीडियोज की पहचान की जा सकती है। ऐसे वीडियोज को आप लोकेशन और एक्स्ट्रा ब्राइटनेस से भी पहचान सकते हैं।