Shardiya navratri 2024: हिंदू धर्म में नवरात्रि (navrtari)में पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है। इसके दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी (maa Brahmacharini ) की पूजा की जाती है। कहते है इस दिन मां की व्रत कथा करने और पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
ऐसी भी मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की आराधना से तप, शक्ति ,त्याग ,सदाचार, संयम और वैराग्य में वृद्धि होती है। इस आर्टिकल में हम आपको मां ब्रह्मचारिणी की उत्पत्ति से जुड़े कुछ रोचक तथ्य बताने के साथ ही नवरात्रि के दूसरे दिन के पूजा-विधान के बारे में बताने वाले है।
मां ब्रह्मचारिणी अच्छे आचरण की देवी है
मां ब्रह्मचारिणी (maa Brahmacharini) की पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय एवं अत्यन्त भव्य है। उनका सच्चे मन से ध्यान करने से सभी इच्छाएं पूरी होती है।
मां ब्रह्मचारिणी का रूप अलौकिक है
मां के दाहिने हाथ में जप की माला है और बायें हाथ में कमण्डल है तथा मान्यता ये है कि माता ब्रह्मचारिणी (maa Brahmacharini)की पूजा और साधना करने से कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है। हिन्दु मान्यता के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी पर्वतराज हिमालय और मैना की पुत्री हैं, जिन्होंने भगवान नारद के कहने पर भगवान शंकर की ऐसी कठिन तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने इन्हे मनोवांछित वरदान दिया, जिसके प्रभाव से ये भगवान शिव की अर्धांगिनी बनीं। मां ब्रह्मचारिणी अपने भक्तों को सभी तरह का सुख देने में सक्षम है।
स्वाधिस्थाना चक्र पर लगाए ध्यान
नवरात्रि (navratri) के दूसरे दिन भक्त को ध्यान की स्थिति में बैठकर स्वाधिस्थाना चक्र की ओर अपन मन लगाना चाहिए। इस चक्र पर ध्यान केंद्रित करने वाला पूजक, देवी ब्रह्मचारिणी के स्नेह और आशीर्वाद के अलावा मनवांछित वस्तु प्राप्त करता है। मां ब्रह्मचारिणी (maa Brahmacharini) के रूप में देवी का ये अवतार भक्त को असंख्य लाभ प्रदान करता है। इनकी पूजा करने से सफलता और सम्मान की प्राप्ति की जा सकती है।
नवरात्रि के दूसरे दिन के लिए मां ब्रह्मचारिणी का मंत्रः
ब्रह्मचारयितुम शीलम यस्या सा ब्रह्मचारिणी,
सच्चीदानन्द सुशीला च विश्वरूपा नमोस्तुते।।
ओम देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥
तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्। ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
शंकरप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी। शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणीप्रणमाम्यहम्॥
दूसरे दिन का रंग – सफेद
दूसरे दिन का प्रसाद – गुड़ या गुड़ से बनी चीजें