Shardiya navratri 2024, पहले दिन करें मां शैलपुत्री की पूजा  

Pooja Joshi

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Shardiya navratri 2024
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Shardiya navratri 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार साल में चार बार नवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है। जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। आश्विन मास में जो नवरात्रि (navrtari)आती है उसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। 3 अक्टूबर 2024 को नवरात्रि का पहला दिन है (shardiya navratri 2024 first day pooja)और इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है।
नवरात्रि में मां के नौ स्वरूपों की पूजा का अपना-अपना एक विधान है (navratri Puja Vidhi)। यहां हम आपको मां शैलपुत्री ( maa shailputri) के जन्म से जुड़े कुछ रोचक तथ्य बताने के साथ ही उनकी पूजा विधि के बारे में बताने जा रहे है।

मां शैलपुत्री (maa shailputri) पर्वतराज की पुत्री है

देवी के नौ अवतारों में से सबसे पहला रूप मां शैलपुत्री का है। नवरात्रि 2024 के पहले दिन यानि 3 अक्टूबर को मां शैलपुत्री की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होगी। आपको बतादें कि शैल संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ होता है पर्वत और पुत्री यानि बेटी। इसका पूरा अर्थ हुआ हिमालय की पुत्री। क्यूंकि उसने पर्वतराज के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया था। इसीलिए देवी दुर्गा को शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है।

देवी शैलपुत्री (maa shailputri) त्रिशक्ति का प्रतीक है

मां शैलपुत्री बैल पर विराजित है और उनके दाहिने हाथ में शूल है और बाएं हाथ में बहुत सारे फूल है। पूर्व जन्म में माता शैलपुत्री दक्ष प्रजापति की पुत्री सती थी। जो कि बचपन से ही भगवान शिव को समर्पित थी। जिसके बाद,सती का भगवान शिव के साथ विवाह हुआ। मां शैलपुत्री के पास कई दिव्य शक्तियां है। माता शैलपुत्री आपको अनुभव प्रदान करने में मदद कर सकती है।

मूलाधार चक्र पर करें फोकस

मां शैलपुत्री (maa shailputri) के पास कई दिव्य शक्तियां है। नवरात्रि (navrtari) के पहले दिन ध्यान लगाते समय, श्रद्धालु को मूलाधार चक्र पर फोकस करना चाहिए। ये भक्त की आध्यात्मिक यात्रा के प्रारंभिक बिंदु को दर्शाता है। यही से नवरात्रि साधना की यात्रा शुरू होती है। ये देवी सभी भौतिक इच्छाओं को पूरा करती है और इससे आप अपनी जिंदगी में पूर्णता का अनुभव कर सकते है। 

शारदीय नवरात्रा के पहले दिन की पूजा विधि (Shardiya navratri 2024 first day pooja vidhi)

नवरात्रि के पहले दिन प्रातः स्नान कर मां का ध्यान करें और फिर शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करें। कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की प्रतिमा को स्थापित करें। मां शैलपुत्री को कुमकुम और अक्षत लगाएं।
फिर मां शैलपुत्री का ध्यान करें और उनके मंत्रों का जाप करें। इसके बाद मां शैलपुत्री को सफेद रंग के पुष्प अर्पित करें। फिर मां शैलपुत्री की आरती उतारंं और भोग लगाएं। ध्यान रहें मां शैलपुत्री को खीर, चावल, सफेद मिष्ठान आदि का भोग लगाना चाहिए।

मां शैलपुत्री के मंत्र (maa shailputri mantra)

  • ऊँ देवी शैलपुत्र्यै नमः ।।
  • या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।।
  • वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।

अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य किसी भी धार्मिक विधि, परंपरा, या रीति-रिवाज का समर्थन या विरोध करना नहीं है। यदि आपको किसी विशेष पूजा विधि या मंत्र का उच्चारण सही ढंग से करने के बारे में संदेह हो, तो कृपया किसी ज्ञानी पुरोहित या धार्मिक विद्वान से परामर्श करें। इस लेख का उपयोग पूरी तरह से पाठक की जिम्मेदारी पर निर्भर करता है। हम किसी भी प्रकार की त्रुटि या भूल के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।


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